कोई चीज अचानक आँख के सामने आ जाये तो हमारी आँखें एकदम बंद हो जाती हैं और हाथ एकदम आँखों के आगे आ जाते हैं। हमें अचानक कोई चोट लगे तो हम पर फूंक मारने लगते हैं या चोट वाले अंग को मुँह में डाल लेते हैं और उस स्थान पर हाथ फेरने लगते हैं। ऐसा करने से हमारे सांस, मुँह और हाथों की उंगलियों से विद्युत मिलती है जिससे चोट का दर्द कम हो जाता है। यह सब हम ारे से अपने आप होने लगता है। ये सब छठी इन्द्रिय के कारण होता है। कई लोगों ने अंतिम समय अपनी यात्रा रद्द कर दी और वह दुर्घटना से बच गये। आपको कुछ लोग मिले होंगे जो कहते हैं कि उन्हें अच्छे-बुरे का ज्ञान पहले लग जाता है। लोग उनकी बातों को उनके दिमाग का फितूर समझकर उन्हें अनदेखा कर देते हैं। ऐसी समर्थता वाले साधारण लोग भी हो सकते हैं, जरूरी नहीं को साधू-संत हो। उनकी साधारणता के कारण लोग उन्हें महत्व नहीं देते। आईनस्टाईन जैसा महान् वैज्ञानिक भी बहुत साधारण था। इसलिये हमें अपनी मानसिक दक्षता को बढ़ाते रहना है। नई-नई विधियों से अपनी छठी इन्द्रिय पर कार्य करते रहना है। बहुत कम लोगों में यह जन्मजात होता है। अधिकांश मामलों में ये एक खास उम्र में जाकर पैदा होता है। इसके जागरण की कोई उम्र सीमा नहीं होती। इसलिये छठी इन्द्रिय को जगाने और उससे कार्य लेने के लिये कुछ-न-कुछ प्रयोग जरूर करते रहा करो।
छठी इन्द्रिय जब जागृत हो जाती है तो व्यक्ति को भीड़ में घुटन होती है। उसे अकेलापन अच्छा लगता है। पहले जो लोग करीब थे अब आपको उन्हें भी बर्दाश्त करने में परेशानी होती है। आप ज्यादा से ज्यादा अकेले रहना चाहते हैं। रात में आपको बहुत अच्छा लगता है। अजीब अनुभूति होती है। बहुत अच्छी-अच्छी अनजान तरंगें मिलती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान बहुत ज्यादा विद्युत की जरूरत होती है। इसलिये बार-बार भूख लगेगी। जमीन में कहॉं धन गढ़ा हुआ है और कहॉं पर पानी है वह भी विकसित छठी इन्द्रिय से पता लगा सकते हैं। हम दूर से पुस्तक पढ़ सकते हैं। कोई चीज चोरी हो जाये तो पता लगा सकते हैं कि चोरी किसने की है। पीनियल ग्रंथी और पीचुटरी ग्रंथी के सम्मिश्रण से छठी इन्द्रिय जागृत होती है। गहरे ध्यान और योग से ये छठी इन्द्रिय अपने आप जागृत होती है। मेस्मेरिजम या हिप्नोटिज्म जैसी अनेक विद्याएं इस छठी इन्द्रिय के जागरण का ही कमाल है। गंदगी वाले स्थानों और कार्बनडाईऑक्साइड की अधिकता से छठी इन्द्रिय की ऊर्जा का क्षरण होता है। साफ वातावरण और ऑक्सीजन की अधिकता छठी इन्द्रिय जागृत करने में सहायक होते हैं। जब हम किसी बात को, किसी की आहट को या फिर होने वाली क्रिया को समय से पहले ही भांप ले तो छठी इन्द्रिय का कमाल है। किसी के स्वभाव और मनोदशा को सूंघ सकते हैं। अंधा व्यक्ति भी रंग देख सकता है। आप सब में छठी इन्द्रिय है और उसे प्रायः प्रयोग करते हैं। इसकी क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करें। जब कभी मम्मी की डांट से बचना हो, बॉस की फटकार से बचना हो या किसी मुसीबत से छुटकारा पाना हो तो मन करता है कि काश हम कहीं गायब हो जाये। किसी ऐसी दुनिया में चले जाये जहॉं कोई हमें ढूंढ न पाये। सबके बीच में रहते हुये कोई हमें देख न सके। कभी-कभी आप भी सोचते होंगे कोई तरकीब, कोई मंत्र, कोई टोना-टोटका ही मिल जाये जिससे मैं जब चाहूँ अदृश्य हो जाऊँ। यह सिर्फ कोरी कल्पना नहीं है। आपने कभी-न-कभी
(प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय)