अंतरीय अंतरिक्ष के अचरज-अमरत्व का विज्ञान

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बढ़ते हैं, तो हमारी आँखों में आँसू आते तो हैं, मगर आँख से टपकते नहीं। अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि, पर्सी बाइश शैले कहा है, हमारे सबसे मीठे गीत वो होते हैं, जिनमें दुःख और बेचैनी की चर्चा की गयी हो। वे सीधे हमारे दिलों की गहराइयों और आत्मा की गहराइयों से निकलते हैं और जो उन्हें सुनते हैं, उनको द्रवित कर जाते हैं। हमारी पीड़ा और वेदना ऐसी होती है कि हम सो भी नहीं पाते। जैसा कि मैंने एक शे’र में कहा ए जाने ख्वाब, तेरे शबिस्ताने ख्वाब से । जो भी गया, वो दीदा-ए-बेख्वाब ले गया । ओ मेरे सपनों की जान, ऐ मेरे प्रियतम, जो भी आपके असंख्य दर्पणों वाले शयन कक्ष में गया, उसकी आँखों से नींद सदा के लिए उड़ गयी। मेरा एक और शेर है : दिल से निकल के हर सदा, क्यों न दिलों में डूब जाय। साज़ मेरा लतीफ है नग़मा तेरा लतीफतर ॥ यह शेर उस समय लिखा गया था, जब मैं अचानक ही एक कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गया। यह सब इतने थोड़े से समय में हुआ, कि मेरे साहित्यिक मित्र भी हैरान रह गये। कई मित्रों ने पूछा कि कैसे मैं इतनी जल्दी मशहूर हो गया। यह शेर उसका जवाब था । मेरी सफलता का रहस्य मेरे साज़, अर्थात मेरी शायरी में नहीं मिलेगा। इसका राज मेरी शैली, लय, अनुप्रास, या मेरे शेरों की अन्य खूबियों में भी नहीं हैं।

(कृपाल आश्रम, अहमदनगर)