आंतरिक बल (भाग – 1)-मन एक रेडीयो स्टेशन है

0
62

शक्तियां अपने हाथ रखने की इच्छा है। दूसरों पर शासन करने की इच्छा है। चाहे वे कैसे भी हो उनको देखते ही बाबा को याद करें और शांति या प्रेम की तरंगे दे। अगर तरंगे देते समय मन में असुविधा हो तो उस समय किसी अन्य स्नेही आत्मा को तरंगे दो और कठिन व्यक्ति को उसके पास खड़ा हुआ देखे। आपकी तरंगे उसको भी पहुँच रही हैं। कठिन लोग अर्थात् आपकी बहू, सास, ससुर, पति, बोस या कोई अन्य है। जैसे ही ऐसे लोगों से आमना-सामना हो तो तुरंत मन में किसी स्नेही आत्मा को देखो, भगवान को देखो या इष्ट को देखो। स्नेही आत्मा में आपकी मम्मी, पापा, भैया या कोई भी अन्य व्यक्ति चाहे वह बचपन के दोस्त हों या वर्तमान में हो, किसी एक को चुन लें। उन्हें मन में शांति की तरंगे देते रहो। इससे आपको तनाव नहीं होगा। इससे आपके मन में से निकली शांति की तरंगे कठिन व्यक्ति को भी बदल देंगी। याद रखो हम किसी को भी सिर्फ स्नेह से बदल सकते हैं या योग से। याद रखो कि ऐसे लोगों का शक्ति का केन्द्र कहीं और होता है।

कई बार ड्राइवर और कुक भी शक्ति के केन्द्र होते हैं वह तो केवल कठपुतली होते हैं कठिन लोग अक्सर कमजोर होते हैं वे दूसरों को डरा-धमका कर रखते हैं ताकि उनकी कमजोरी पता न चले। वह अपने क्षेत्र में अक्सर निपुण नहीं होते। ऐसे व्यक्ति प्यार के भूखे होते हैं। इसलिये मन को हर समय उनकी सेवा में और स्नेह की तरंगे देने में लगाये रखो। अवसाद अर्थात् अकेलापन, उदासी, निराशा, चिड़चिड़ापन दर्शाता है कि व्यक्ति अवसाद की तरफ बढ़ रहा है। गुमसुम रहना, चुपचाप रहना, थकान महसूस होना, बहुत ज्यादा सोना, नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना या बहुत ज्यादा लगना, यह अवसाद के ही लक्षण हैं। मुँह सूखने लगे, सीने में भारीपन रहने लगे, दिल की धड़कन बार-बार बढ़ती है, बदन में दर्द रहने लगे, हर बात में व्यक्ति अपने को दोषी मानने लगे तो यह भी अवसाद ही है। इसका कारण बचपन में मिली प्रताड़ना, तिरस्कार, कठोरता, अधिक दण्ड अवसाद का मूल कारण है।

(प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍व विद्यालय)