आंतरिक बल (भाग – 1)-मन एक रेडीयो स्टेशन है

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असभ्यता से प्रतिक्रिया नहीं करना चाहे वह कितना भी गलती पर हो। जिस व्यक्ति से मन में टकराव होने लगे तुरंत मन में स्नेही व्यक्ति को देखने लग जाओ, किसी अच्छे दोस्त को देखने लग जाओ या अपने इष्ट को देखो, परमात्मा शिव को देखो। वह व्यक्ति, जिससे हमें प्यार है, जब हम उसके पास जाते हैं, वह हमें चाय क्यों नहीं पिलाता, इस भावना को क्लेश कहते हैं। कोई व्यक्ति जिनसे हमें आशायें होती हैं, वह बोलते ही नहीं, सदा मौन ही रहते हैं। यह मौन क्लेश उत्पन्न करता है। आप कहीं गये थे, आपके वापिस आने पर, आपके चाहने वाला बस स्टैंड पर लेने ही नहीं आया। यह पीड़ा क्लेश कहलाती है। आप घर पहुँचे, किसी ने भी आपका स्वागत नहीं किया, किसी ने पानी भी नहीं दिया, बैठने को भी नहीं कहा, यह पीड़ा क्लेश है। बीते हुए बुरे व्यवहार, अपमान, तिरस्कार, उत्पीड़न की घटनाएं रह-रहकर मन में पीड़ा देती हैं। ये क्लेश है। ये क्लेश योग नहीं लगने देते। आगे नहीं बढ़ने देते। योग तब लगेगा जब क्लेशों से बचेंगे। क्लेशों से बचने के लिये आपको अपनी सूझबूझ, बुद्धिमता प्रयोग करनी पड़ेगी। आपको व्यक्तिगत सोचना और निर्णय लेना होगा। यहॉं कोई नियम व सिद्धांत नहीं बनाया जा सकता। क्लेशों से दशाएं व नक्षत्र निर्धारित होते हैं। जिनसे क्लेश आते हैं, उनका अगर नुकसान कर देते हैं तो आपका नक्षत्र खराब हो जाता है। आगे एक समय आयेगा जब आपको यह नुकसान भुगतना पड़ेगा। ऐसे व्यक्ति के प्रति कल्याण की भावना रखो, उसका आर्थिक नुकसान नहीं करना। अगर वह आप पर निर्भर है तो उसकी आर्थिक मदद करते रहो। जिसका परिणाम तुम्हें कभी भी किसी भी जन्म में आर्थिक तंगी नहीं होगी। अगर ऐसा व्यक्ति संस्था में है तो भी उसकी यथा-सम्भव मदद करते रहो अगर आपका दिल नहीं मानता तो उसकी मदद किसी दूसरी संस्था से करवा दो। इसका शुभ फल यह होगा कि जब कभी आप पर बुरे दिन आयेंगे तो एक रास्ता बंद होगा तो दस खुल जायेंगे। क्लेशित व्यक्ति के प्रति कल्याण की भावना रखें, यह वातावरण में जायेगा, जिससे आप पर सदा ब्रहस्पति की दशा बनी रहेगी। हर एक व्यक्ति की मजबूरियां हैं, कमजोरियां हैं, जिम्मेदारी हैं, दबाव है, जिस कारण से न चाहते हुए भी उसे ऐसा-वैसा व्ययहार करना पड़ता है। उसके प्रति दया भाव रखो। बाबा ने आपको मौका दिया है कि लोग कैसे बदलते हैं, आप ज्ञान योग में अपने को सम्पन्न बनाओ, लोगों के व्यवहार से सीखो।

(प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍व विद्यालय)