उन्होंने यह नहीं सोचा कि मैं इतना बडा हूँ, सीनियर हूँ, मुझे बहुत शारीरिक तकलीफ़ है, इतनी तकलीफ़ उठाकर क्यों जाऊँ? मेरे में रहकर ही स्पीकर द्वारा मुरली सुन सकते थे; लेकिन नहीं, मुरली सुनने वे क्लास में ही आते थे। उन्होंने कहा, कुछ भी हो जाये बड़ों में विशेषता ही देखो एक दिन की बात है। किसी कारण से दादी ने मुझे बहुत डाँटा। मैं काफ़ी अपसैट (उदास) रही। फिर मैंने साधना बहन से कहा कि मुझे जगदीश भाई के साथ अपाइंटमेंट (मिला) दो ना! मुझे दो मिनट उनसे मिलना है। उनके पास जाने के लिए मुझे डर भी लग रहा था लेकिन अन्दर मन कर रहा था कि उनसे यह बात बताऊँ। उन्होंने बुलाया, उनके पास बैठी। लेकिन वे इतने गंभीर दिखायी पड़ रहे थे कि मुझे डर लग रहा था कि उनसे कहाँ या नहीं।
फिर भी हिम्मत रखकर उनको दादी की शिकायत की। उन्होंने मेरी सारी बात प्यार से सुन ली और कहा, आप इतने सालों से दादी के पास रही हो, उनको आपने बहुत नज़दीक से देखा है, इसलिए दादी की क्या विशेषतायें हैं, उनकी एक लिस्ट बनाकर मुझे दो। मैं हैरान हो गयी क्योंकि मैं जो दादी की शिकायत कर रही हूँ. उसके बारे में समाधान देने के बदले, दादी की विशेषताओं की लिस्ट लिखकर देने के लिए बोल रहे हैं! मैंने कुछ कहा नहीं, बहुत समय तक ऐसे ही बैठी रही। फिर उन्होंने ही कहा कि ठीक है, आप सोचकर लिस्ट बनाकर मुझे देना। मैं उठकर चली आयी। उस दिन उनको हास्पिटल लेकर गये। उनको ज़्यादा तकलीफ़ हो रही थी। दादी को उनसे मिलने हॉस्पिटल जाना था। भले ही मैं अपसैट थी लेकिन दादी को कंपनी देने के लिए उनके साथ हॉस्पिटल गयी। वहाँ दादी जी ने उनसे ओम् शान्ति की बाद में जगदीश भाई ने मुझे देखा और मुस्कराते हुए पूछा, मेरे लिए लिस्ट लेकर आयी हो? मैं समझी थी, वे भूल गये होंगे। उन्होंने अपने पास बिठाया और दादी की कई विशेषतायें मुझे सुनायीं। फिर कहा, देखो, कुछ भी हो जाये, बड़ों की हर बात को पॉज़िटिव लो और उनकी विशेषतायें देखो। जो उनकी विशेषतायें हैं, उनका मनन-चिन्तन करो और उनको धारण करो। उन्होंने मुझे पूर्णतः बदल दिया। ऐसे नहीं, जब मैंने दादी की शिकायत की तो ’हाँ में हाँ मिलायी’।
उन्होंने मुझे बात की गहराई, ज्ञान की ऊँचाई दिखायी और मुझे पोज़िटिव की तरफ़ ले आये। वे मुझे बडे भाई, पिता और दोस्त के रुप में दिखायी पडते थे चीन की ब्रह्माकुमारी सिस्टर चेन ने भ्राता जगदीश जी को किस में देखा और क्या अनुभव किया, इसका वर्णन इस प्रकार करती हैं जगदीश भाई के बारे में सुनाने से पहले, मैं थोड़ा अपना अनुभव आपको सुनाना चाहती हूँ। अमेरिका में मैं जिस कंपनी में नौकरी करती थी उसी कंपनी में ब्रदर ब्राइन भी करते थे। (क्रमश:178) (प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय)